बीसी की है ये सरकार
बीसी का हरदिन त्यौहार
बीसी के सपने रंगीन
बीसी की बातें नमकीन
बबली निकली एक दो तीन
बीसी खुश है तो खुशहाल
बीसी पलटे तो भूचाल
बीसी को यूँ सबसे प्यार
बीसी भड़के तो तलवार
बीसी बोले सच्ची बात
बोले बूँद को ये बरसात
बीसी बीज को बोले पेड़
बीसी राई को बोले ताड़
बीसी जाए by ट्रेन
तो बोले सबको aeroplane
बीसी long ड्राइव पे जाए
इसके नखरे वखरे हाय
बबली डिनर पे जाती है
SAB WAY pizza khati hai
बीसी ब्रांड पहनती है
उम्दा चीज़ उठाती है
बीसी ऑटो से जाए तो
mercedease बताती है
weekends pe night show jati hai
show mein popcorn khati hai
Monday, March 30, 2009
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5 comments:
प्रमोद जी,
बी.सी. और क्या-क्या करती है? कुछ रोजनामचा लगती है यह कविता और रोचकता बनाये रखती है कि इसके बाद बी.सी. और क्या करेगी? गुल खिलायेगी?
मजेदार है.
मुकेश कुमार तिवारी
मेरी सांसों में यही दहशत समाई रहती है
मज़हब से कौमें बँटी तो वतन का क्या होगा।
यूँ ही खिंचती रही दीवार ग़र दरम्यान दिल के
तो सोचो हश्र क्या कल घर के आँगन का होगा।
जिस जगह की बुनियाद बशर की लाश पर ठहरे
वो कुछ भी हो लेकिन ख़ुदा का घर नहीं होगा।
मज़हब के नाम पर कौ़में बनाने वालों सुन लो तुम
काम कोई दूसरा इससे ज़हाँ में बदतर नहीं होगा।
मज़हब के नाम पर दंगे, सियासत के हुक्म पे फितन
यूँ ही चलते रहे तो सोचो, ज़रा अमन का क्या होगा।
अहले-वतन शोलों के हाथों दामन न अपना दो
दामन रेशमी है "दीपक" फिर दामन का क्या होगा।
@कवि दीपक शर्मा
http://www.kavideepaksharma.co.in (http://www.kavideepaksharma.co.in/)
इस सन्देश को भारत के जन मानस तक पहुँचाने मे सहयोग दे.ताकि इस स्वस्थ समाज की नींव रखी जा सके और आवाम चुनाव मे सोच कर मतदान करे.
रोचक रचना, स्वागत ब्लॉग परिवार में.
भई प्रमोद जी, ये बी.सी. क्या बला है?
सादर अभिवादन
सबसे पहले तो आपकी रचना के लिए ढेरो बधाई
ब्लोग्स के नए साथियो में आपका बहुत बहुत स्वागत
चलिए एक मुक्तक से अपना परिचय करा रहा हूँ
चले हैं इस तिमिर को हम , करारी मात देने को
जहां बारिश नही होती , वहां बरसात देने को
हमे पूरी तरह अपना , उठाकर हाथ बतलाओ
यहां पर कौन राजी है , हमारा साथ देने को
सादर
डा उदय ’मणि’ कौशिक
http://mainsamayhun.blogspot.com
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