tag:blogger.com,1999:blog-3611397855462140958.post5420704013823057748..comments2022-11-25T02:25:16.599-08:00Comments on pramodsingh: बबली चड्ढाpramod singhhttp://www.blogger.com/profile/13159553234304313446noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-3611397855462140958.post-22949767823080019192009-04-01T00:49:00.000-07:002009-04-01T00:49:00.000-07:00सादर अभिवादन सबसे पहले तो आपकी रचना के लिए ढेरो बध...सादर अभिवादन <BR/>सबसे पहले तो आपकी रचना के लिए ढेरो बधाई <BR/> ब्लोग्स के नए साथियो में आपका बहुत बहुत स्वागत <BR/><BR/>चलिए एक मुक्तक से अपना परिचय करा रहा हूँ <BR/><BR/>चले हैं इस तिमिर को हम , करारी मात देने को<BR/>जहां बारिश नही होती , वहां बरसात देने को<BR/>हमे पूरी तरह अपना , उठाकर हाथ बतलाओ<BR/>यहां पर कौन राजी है , हमारा साथ देने को<BR/><BR/>सादर<BR/>डा उदय ’मणि’ कौशिक<BR/>http://mainsamayhun.blogspot.comडा ’मणिhttps://www.blogger.com/profile/12027202350989367311noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3611397855462140958.post-88670279854057360302009-03-31T00:50:00.000-07:002009-03-31T00:50:00.000-07:00भई प्रमोद जी, ये बी.सी. क्या बला है?भई प्रमोद जी, ये बी.सी. क्या बला है?Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3611397855462140958.post-34714430019040443882009-03-31T00:21:00.000-07:002009-03-31T00:21:00.000-07:00रोचक रचना, स्वागत ब्लॉग परिवार में.रोचक रचना, स्वागत ब्लॉग परिवार में.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3611397855462140958.post-29250253595661646082009-03-30T23:44:00.000-07:002009-03-30T23:44:00.000-07:00मेरी सांसों में यही दहशत समाई रहती हैमज़हब से कौमे...मेरी सांसों में यही दहशत समाई रहती है<BR/>मज़हब से कौमें बँटी तो वतन का क्या होगा।<BR/>यूँ ही खिंचती रही दीवार ग़र दरम्यान दिल के<BR/>तो सोचो हश्र क्या कल घर के आँगन का होगा।<BR/>जिस जगह की बुनियाद बशर की लाश पर ठहरे<BR/>वो कुछ भी हो लेकिन ख़ुदा का घर नहीं होगा।<BR/>मज़हब के नाम पर कौ़में बनाने वालों सुन लो तुम<BR/>काम कोई दूसरा इससे ज़हाँ में बदतर नहीं होगा।<BR/>मज़हब के नाम पर दंगे, सियासत के हुक्म पे फितन<BR/>यूँ ही चलते रहे तो सोचो, ज़रा अमन का क्या होगा।<BR/>अहले-वतन शोलों के हाथों दामन न अपना दो<BR/>दामन रेशमी है "दीपक" फिर दामन का क्या होगा।<BR/>@कवि दीपक शर्मा<BR/>http://www.kavideepaksharma.co.in (http://www.kavideepaksharma.co.in/)<BR/>इस सन्देश को भारत के जन मानस तक पहुँचाने मे सहयोग दे.ताकि इस स्वस्थ समाज की नींव रखी जा सके और आवाम चुनाव मे सोच कर मतदान करे.Deepak Sharmahttps://www.blogger.com/profile/04555822647131875610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3611397855462140958.post-66013647615529878442009-03-30T10:20:00.000-07:002009-03-30T10:20:00.000-07:00प्रमोद जी,बी.सी. और क्या-क्या करती है? कुछ रोजनामच...प्रमोद जी,<BR/><BR/>बी.सी. और क्या-क्या करती है? कुछ रोजनामचा लगती है यह कविता और रोचकता बनाये रखती है कि इसके बाद बी.सी. और क्या करेगी? गुल खिलायेगी?<BR/><BR/>मजेदार है.<BR/><BR/>मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.com