ऐसा नहीं है के सिर्फ विनय सिंह ही आजाद की हरकतों पे गौर कर रहा है, आजाद भी विनय सिंह की उपस्थिति और अनुपस्थिति पर गौर कर रहा है। borstal के लड़कों की काना फूसी में लिलवा नाम की किसी महिला कैदी का ज़िक्र सुना है उसने । समय तेजी से बीत रहा है और एक दिन जब अपनी आदत से लाचार लालमुनी फिर से आजाद को घेरे में लेना चाहता है तब विनय सिंह ने लालमुनी को आड़े हाथों लिया है। आजाद और विनय सिंह में नजदीकियां बढ़ रही हैं। और एक दिन जब विनय और आजाद शतरंज में उलझे हुए हैं और विनय सिंह आजाद की एक किश्ती को मारते हुए कहता है कि ये गया लालमुनी...तो आजाद अपने वजीर से विनय को मात देता हुआ कहता है कि ये रहे विनय भैया। शतरंज की इस बाज़ी में तो विनय सिंह हार गया है मगर सच ये है के विनय सिंह ने आजाद का विस्वास और भरोसा जीत लिया है। विनय ने शाम को आजाद के कंधे पर हाथ रख कर प्यार से बोला है कि हॉस्पिटल के चक्कर लगाना बंद करो। हलाकि आजाद को ये बात अच्छी नहीं लगी है मगर उसने कुछ कहा नहीं।
दिन बीत रहे हैं ... aaj 26 january है । जेल में तिरंगा फेहराया जा रहा है , मिठाइयाँ बांटी जा रही हैं ,सारे कैदी कैद में रहते हुए भी आज थोड़े से आजाद हैं । महिला कैदी भी अपने अपने बैरक से बाहर दिख रहीं हैं। विनय सिंह और आजाद एक पेड़ के नीचे borstal के और कुछ लड़कों केसाथ बैठे हैं तभी एक महिला कैदी उनके पास आयी है। विनय सिंह और महिला कैदी की नज़रें मिली हैं। विनय सिंह ने आजाद को बताया है के ये लिलवा है। आजाद लिलवा कि खूबसूरती देख कर चौंक जाता है एक बरगी के इतनी सुंदर औरत जेल में क्या कर रही है! आजाद ने सुन रखा है लिलवा के बारे में कि लिलवा ने अपने पति और ससुर की हत्या कर दी थी और यहाँ उम्र क़ैद काट रही है। विनय सिंह कबड्डी के मैच के लिए strategy बना रहा है। शाम को gt और बोर्स्तल के बीच कबड्डी का मैच है। लिलवा ने मिठाई का एक टुकड़ा विनय सिंह के मुंह में डाला है और एक टुकड़ा आजाद के मुंह में डालते हुए उसने पूछा है कि.... तुम्हारा नाम आजाद है न! आजाद एक अपनेपन से विनय को देख रहा है, मगर विनय का ध्यान लालमुनी पर है जो निरंजन चौबे और रामा सिंह के साथ दूर खड़ा इधर ही देख रहा है। लिलवा आजाद और विनय के बीच थोड़ी सी जगह बना कर वहीँ बैठ गयी है। विनय ने रामा सिंह को देखते हुए लिलवा के कंधे पे हाथ रखा है। jailor बगल से आकर टोकता है विनय को कि ... क्यूँ विनय सिंह, फॅमिली के साथ बैठे हो। लिलवा हडबडा गयी है मगर विनय सिंह ने अपनी पकड़ ढीली नहीं होने दी है। jailor दूर निकल गया है।
शाम में कबड्डी का मैच चल रहा है , borstal के कई लड़के आउट हो गए हैं, विनय सिंह के साथ borstal के सभी लीग परेशान हैं । borstal के कई जवान लड़के कोशिश कर रहे हैं मगर gt के दानवों के सामने टिकना इतना आसान नहीं। विनय सिंह की परेशानी देख रहा है आजाद । आजाद कुरता उतार कर सिर्फ कच्छा पहने मैच में शामिल हुआ है। विनय हैरान है, महिला कैदिओं के बीच बैठी लिलवा हैरान है, धर्मेन्द्र, इकबाल, संजय सब हैरान हैं। और GT के पाले में हंसी बंद ही नहीं हो रही है। कबड्डी कबड्डी करता हुआ आजाद GT के पाले में घुसा है और इस से पहले के किसी को कुछ समझ आये आजाद २ -३ क़ैदिओन के कंधे पर पैर रखता हुआ उनके पाले के सबसे खतरनाक घेरे में घुस गया है। borstal के लड़के परेशान हैं के आजाद तो गया काम से । मगर इस से पहले कि कोई कयास लगाता के आजाद क्या करने वाला है, आजाद उसी फुर्ती से पलटा है और वैसे ही २-३ बाकी कैदिओं के कंधे पर चड़ता हुआ वापस अपने पाले में आ गया है। पूरे जेल को अपनी आँखों पे भरोसा नहीं होता, मगर ये सच है के आजाद कभी भी गेम पलट सकता है।
रात में borstal में बैठ कर जीत की जश्न मनाई जा रही है और तभी वहां हीरा और मोती कि entry होती है।
Sunday, December 20, 2009
"का विनय सिंह , काहे बच्चा को मार रहे हो ?"
विनय सिंह ने निरंजन चौबे कि आँखों में देखा और बिना किसी भाव के टहलता हुआ borstal से बाहर चला गया। निरंजन ने एक जम्हाई ली और दो चार कदम टहलता हुआ आजाद को समझाने लगा कि बेटा थोडा दिल कड़ा रखो। रोने से क्या होगा? हम हैं न...! चलो ...मुंह हाथ धो लो । ठीक नहीं लगता; इतना सुंदर चेहरा रो रो के लाल हो गया। रामा सिंह आजाद के कंधे पर हाथ रख कर टहलते हुए उसे अपने साथ borstal से बाहर ले गया। एक पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठा विनय सिंह ये सब देख रहा है, "राम बाबु जरा कल चलाइये... बच्चे का हाथ मुंह धुलवाइए" , निरंजन चौबे hand pump की तरफ इशारा करते हुए कहता है। निरंजन चौबे और रामा सिंह कुख्यात अपराधी हैं। उम्र तकरीबन ४५ साल की होगी। पिछले कई सालों से हैं इस जेल में । हत्या की सजा काट रहे हैं दोनों। हालाँकि दोनों अलग अलग केस में आये हैं, मगर काफी दिनों से साथ में रहते हुए वो अब करीबी की तरह लगते हैं। चूंकि दोनों पेशेवर अपराधी हैं इसलिए उनकी पहुँच जेल के बाहर भी है और जेल के अन्दर भी। दोनों जेल के हॉस्पिटल में रहते हैं। और जेल के हॉस्पिटल में रहने का मतलब है जेल में रहते हुए भी जेल की तमाम सुविधाओं का भोग करना ।
समय बीत रहा है और आजाद थोडा थोडा सहज भी हो रहा है। जेल किसको अच्छा लगा है...! मगर फिर भी जो एक आध अच्छे लोग समझ में आ रहे हैं...... आजाद उनसे घुलता मिलता जा रहा है। इनमें निरंजन चौबे, रामा सिंह के अलावा borstal में रहने वाले darmendra, इकबाल , संजय ख़ास हैं। विनय सिंह के बारे में वो ज्यादा कुछ समझ नहीं पाया है। एक तो पहली मुलाक़ात ऐसी रही है कि उनमें थोड़ी सी दूरी आ गयी है। आजाद अभी ये नहीं समझ पाया है कि सभी लड़के विनय सिंह से इतना डरते क्यूँ हैं...?
हाँ अगर कोई दुश्मन है आजाद का तो वो सिर्फ और सिर्फ बैरक का सिपाही लालमुनी है। न जाने किस खुन्नस में है लालमुनी आजाद से के उसे देखते ही आजाद थोडा सा सहम जाता है। आजाद का ये सहम जाना लालमुनी को अच्छा लगता है। लालमुनी दुबला पतला सा एक ऐसा सिपाही है जिस से जेल में रहने वाला एक अदना सा चोर भी नहीं डरेगा, ऐसे में एक नए बचे को डराने में उसके अभिमान को थोड़ी तुष्टि मिलती है। और आज जबफिर लालमुनी ने आजाद पर निगाहें गाड़ी हैं और आजाद से डंडे के जोर पर पूछा है गिनती के समय कि...तेरा जोड़ीदार कहाँ है? तो पेड़ के नीचे चबूतरे पर से बैठे बैठे ही विनय सिंह ने कड़कती आवाज में जवाब दिया है...हम हैं उसके जोदोदार। और इसपर लालमुनी को सकपकाता देख अच्छा लगा है आजाद को। विनय सिंह ने एक नज़र देखा है आजाद को , आजाद गिनती में बैठा हुआ है चुप चाप। इन ३-४ दिनों में आजाद हॉस्पिटल में जाकर निरंजन चौबे और रामा सिंह से मिलता जुलता रहता है, हॉस्पिटल में जो जायकेदार खाने आते हैं उन दोनों के लिए वो आजाद भी खाया करता है, चौबे और सिंह के पुराने कारनामे सुनता है उनकी ही जबानी।
आजाद का समय दो हिस्सों में बाँट गया है जेल के भीतर । शाम में वो हॉस्पिटल जाया करता है और दोपहर में उसका समय धर्मेन्द्र, इकबाल और borstal के लड़कों के साथ बीत रहा है। borstal के भीतर शतरंग का खेल होता है विनय और धर्मेन्द्र में। खेल में हमेशा विनय सिंह ही जीतता है। और आज जब फिर धर्मेन्द्र की लुटिया डूबी हुई हैतो अचानक आजाद से रहा नहीं जाता और एक ही चाल में कहता है कि ये रहा शह और ये मात। विनय सिंह अपनी हार पे आवाक़ है। उसे आजाद में एक ख़ास बात दिखी है। वो आजाद पर गौर करना शुरू करता है धीरे धीरे। इधर कुछ दिनों सेशतरंज का खेल आजाद और विनय में होने लगा है।
उधर जब धीरे धीरे आजाद निरंजन चौबे और रामा सिंह के झांसे में आ जाता है तो अपने बिस्तर पर पसरे पसरे ही आज रामा सिंह ने पैर फैलाया है अपना........." बेटा जरा पैर दबा दो, बहुत दुःख रहा है... और बताओ कि उस रात क्या हुआ था ... विस्तार से बताओ...देखें , कुछ हो सकता है या नहीं। "और आजाद को रामा चच्चा कि ये बात इतनी सहज लगी है कि वो उसका पैर दबाता जा रहा है और पिंकी वाली कहानी भी बयान करता जा रहा है। आजाद ने नहीं देखा है कि उसकी इस कहानी पर रामा सिंह निरंजन चौबे की तरफ देख कर थोडा मुस्कुराया है।
विनय सिंह ने निरंजन चौबे कि आँखों में देखा और बिना किसी भाव के टहलता हुआ borstal से बाहर चला गया। निरंजन ने एक जम्हाई ली और दो चार कदम टहलता हुआ आजाद को समझाने लगा कि बेटा थोडा दिल कड़ा रखो। रोने से क्या होगा? हम हैं न...! चलो ...मुंह हाथ धो लो । ठीक नहीं लगता; इतना सुंदर चेहरा रो रो के लाल हो गया। रामा सिंह आजाद के कंधे पर हाथ रख कर टहलते हुए उसे अपने साथ borstal से बाहर ले गया। एक पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठा विनय सिंह ये सब देख रहा है, "राम बाबु जरा कल चलाइये... बच्चे का हाथ मुंह धुलवाइए" , निरंजन चौबे hand pump की तरफ इशारा करते हुए कहता है। निरंजन चौबे और रामा सिंह कुख्यात अपराधी हैं। उम्र तकरीबन ४५ साल की होगी। पिछले कई सालों से हैं इस जेल में । हत्या की सजा काट रहे हैं दोनों। हालाँकि दोनों अलग अलग केस में आये हैं, मगर काफी दिनों से साथ में रहते हुए वो अब करीबी की तरह लगते हैं। चूंकि दोनों पेशेवर अपराधी हैं इसलिए उनकी पहुँच जेल के बाहर भी है और जेल के अन्दर भी। दोनों जेल के हॉस्पिटल में रहते हैं। और जेल के हॉस्पिटल में रहने का मतलब है जेल में रहते हुए भी जेल की तमाम सुविधाओं का भोग करना ।
समय बीत रहा है और आजाद थोडा थोडा सहज भी हो रहा है। जेल किसको अच्छा लगा है...! मगर फिर भी जो एक आध अच्छे लोग समझ में आ रहे हैं...... आजाद उनसे घुलता मिलता जा रहा है। इनमें निरंजन चौबे, रामा सिंह के अलावा borstal में रहने वाले darmendra, इकबाल , संजय ख़ास हैं। विनय सिंह के बारे में वो ज्यादा कुछ समझ नहीं पाया है। एक तो पहली मुलाक़ात ऐसी रही है कि उनमें थोड़ी सी दूरी आ गयी है। आजाद अभी ये नहीं समझ पाया है कि सभी लड़के विनय सिंह से इतना डरते क्यूँ हैं...?
हाँ अगर कोई दुश्मन है आजाद का तो वो सिर्फ और सिर्फ बैरक का सिपाही लालमुनी है। न जाने किस खुन्नस में है लालमुनी आजाद से के उसे देखते ही आजाद थोडा सा सहम जाता है। आजाद का ये सहम जाना लालमुनी को अच्छा लगता है। लालमुनी दुबला पतला सा एक ऐसा सिपाही है जिस से जेल में रहने वाला एक अदना सा चोर भी नहीं डरेगा, ऐसे में एक नए बचे को डराने में उसके अभिमान को थोड़ी तुष्टि मिलती है। और आज जबफिर लालमुनी ने आजाद पर निगाहें गाड़ी हैं और आजाद से डंडे के जोर पर पूछा है गिनती के समय कि...तेरा जोड़ीदार कहाँ है? तो पेड़ के नीचे चबूतरे पर से बैठे बैठे ही विनय सिंह ने कड़कती आवाज में जवाब दिया है...हम हैं उसके जोदोदार। और इसपर लालमुनी को सकपकाता देख अच्छा लगा है आजाद को। विनय सिंह ने एक नज़र देखा है आजाद को , आजाद गिनती में बैठा हुआ है चुप चाप। इन ३-४ दिनों में आजाद हॉस्पिटल में जाकर निरंजन चौबे और रामा सिंह से मिलता जुलता रहता है, हॉस्पिटल में जो जायकेदार खाने आते हैं उन दोनों के लिए वो आजाद भी खाया करता है, चौबे और सिंह के पुराने कारनामे सुनता है उनकी ही जबानी।
आजाद का समय दो हिस्सों में बाँट गया है जेल के भीतर । शाम में वो हॉस्पिटल जाया करता है और दोपहर में उसका समय धर्मेन्द्र, इकबाल और borstal के लड़कों के साथ बीत रहा है। borstal के भीतर शतरंग का खेल होता है विनय और धर्मेन्द्र में। खेल में हमेशा विनय सिंह ही जीतता है। और आज जब फिर धर्मेन्द्र की लुटिया डूबी हुई हैतो अचानक आजाद से रहा नहीं जाता और एक ही चाल में कहता है कि ये रहा शह और ये मात। विनय सिंह अपनी हार पे आवाक़ है। उसे आजाद में एक ख़ास बात दिखी है। वो आजाद पर गौर करना शुरू करता है धीरे धीरे। इधर कुछ दिनों सेशतरंज का खेल आजाद और विनय में होने लगा है।
उधर जब धीरे धीरे आजाद निरंजन चौबे और रामा सिंह के झांसे में आ जाता है तो अपने बिस्तर पर पसरे पसरे ही आज रामा सिंह ने पैर फैलाया है अपना........." बेटा जरा पैर दबा दो, बहुत दुःख रहा है... और बताओ कि उस रात क्या हुआ था ... विस्तार से बताओ...देखें , कुछ हो सकता है या नहीं। "और आजाद को रामा चच्चा कि ये बात इतनी सहज लगी है कि वो उसका पैर दबाता जा रहा है और पिंकी वाली कहानी भी बयान करता जा रहा है। आजाद ने नहीं देखा है कि उसकी इस कहानी पर रामा सिंह निरंजन चौबे की तरफ देख कर थोडा मुस्कुराया है।
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