Friday, February 6, 2009

मेघा

माथे पर इल्जाम उठा लें

इस से पहले

हाथों में इक जाम उठा लें

इस से पहले .............

इस से पहले के

मस्त्कलंदर रुक जाए

इस से पहले के

बन्दे का सर झुक जाए ,

आ नीचे ,

आ लौट जमीं पे

आ मौला ।

बन्दों के जख्मों को तू सहला मौला ।

चंद लकीरें हाथों में आड़ी तिरछी .........

है यार

मुकद्दर उलझन में

सुलझा मौला ।

शाह मुकद्दर के गुरबत में हो तुम ही

आह सुनो मेरी

थोड़ा सा पिघलो भी

अपने ही बन्दों पे कैसी खामोशी

या मौला इक आग लगी है सीने में

या मौला

मैं प्यास हूँ

तू है इक दरिया

या मौला इक आग लगी है

जल्दी आ ..................................

Wednesday, February 4, 2009

जब लोहे से बाजा लोहा

मैं खन्न से टूट गयी

दौडी यूँ तो बहुत मैं लेकिन

गाडी छूट गयी

सुना है जा रहा है

नबी का काफिला पैदल

अगर चलता है

तो आ चल

अगर चलता है

तो आ चल

चल पैदल पैदल

चल पैदल यारा

साथ नबी के हो ले तू भी

दरवाजे से निकल

खुदा के पास जाना है

मुक्कादर आजमाना है

अगर उसको मनाना है

तो तू

अपने भीतर से निकल

चल पैदल पैदल

चल पैदल यारा

चाँद की सोहबत थी

अल्लाह से जब टकराई मैं

अपनने ही टुकड़े चुन चुन कर

लेकर आई मैं

ईद पे नींद उडी थी

हुई मैं

उस दिन से आवारा

चल पैदल यारा

चल पैदल पैदल

Tuesday, February 3, 2009