चेहरों पे नई मुस्कान
आंखों में नया सम्मान
इक रुत्बा हासिल कर जाना है
Monday, April 27, 2009
Sunday, April 26, 2009
scrap
झूठे वादों के कच्चे मकान
ढह गए देख कर तूफ़ान
इंटों को जोड़ते जाना है ......
कभी घर हो गया वीरान
कभी मैं हो गयी मेहमान
दरवाजे से बाहर आना है ......
ढह गए देख कर तूफ़ान
इंटों को जोड़ते जाना है ......
कभी घर हो गया वीरान
कभी मैं हो गयी मेहमान
दरवाजे से बाहर आना है ......
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