Sunday, April 26, 2009

scrap

झूठे वादों के कच्चे मकान
ढह गए देख कर तूफ़ान
इंटों को जोड़ते जाना है ......

कभी घर हो गया वीरान
कभी मैं हो गयी मेहमान
दरवाजे से बाहर आना है ......

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