रस्ता ये नहीं आसान
ढूंढेंगे नई पहचान
क़दमों में kismat को लाना है
हम parindon ने ली है उड़ान
रख के पंखों तले आसमान
सूरज को चूम के आना है
हुई इस घर कभी मेहमान
रही उस दर कभी अनजान
अब डर के बाहर भी जाना है
सूखी आँखों का है फरमान
के डूबेगा रेगिस्तान
दरिया को मोड़ के लाना है
हकीकत करेंगे बयान
हम इतने नहीं बेजुबान
हर बाजी जीत के आना है
Saturday, April 25, 2009
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1 comment:
सुंदर कविता है. अपने मूर्तिशिल्प के फोटो कविता के साथ दें तो और आनंद आए.
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