Saturday, October 25, 2014



६.   रेड़मा में मेहनतकश मजदूरों के लिए श्रमिक अस्पताल की व्यवस्था की गयी है।  दुर्घटना किसी के साथ भी       हो सकती है, मगर इसकी भरपाई के लिए हमने सरकार की तरफ से आम आदमी बीमा योजना की शुरुआत       की है।

७.   समाज के वृद्धों विकलांगों और विधवाओं के लिए सरकारी सुविधा के तौर पे सामाजिक सुरक्षा पेंशन और         पारिवारिक लाभ योजना की शुरुआत की गयी है।

८.   डालटनगंज के ग्रामीण- शहरी क्षेत्र और चैनपुर में 500 करोड़ की सड़क का निर्माण एवं कोयल नदी पर तीन       तथा अमानत नदी पर एक पुल का निर्माण कार्य शुरू किया गया है। हमारे पलामू में परिवहन की समस्या         नहीं होनी चाहिए।  क्यूंकि सुचारू परिवहन से ही विकास की गाडी आगे जा सकती है।

९.   महिलाओं का स्वावलम्बी होना परिवार और समाज की मजबूती की पहली शर्त है। हमने राष्ट्रीय ग्रामीण           आजीविका मिशन एवं संजीवनी परियोजना की शुरुआत इसीलिए की है। इसके अंतर्गत काफी कम समय         में भंडरिया के मगभग 900 SHG की स्थापना की गयी और 600 से अधिक स्वयं सहायता समूहों को                 स्वरोजगार हेतु रिवॉल्विंग फण्ड मुहैया कराया गया।

१०. पलामू मेरी मातृभूमि है और मुझे इसे स्वर्णभूमि में तब्दील करना है। इस काम के लिए मुझे आपसब के             मदद की जरूरत पड़ेगी।

११. भाई ! अपना हाथ जगन्नाथ होता है। इसीलिए श्रमिक औजार सहायता योजना की शुरुआत की गयी है।           जिसके तहत मजदूरों को काम के औजार दिया जाता है और महिला श्रमिकों के लिए सिलाई मशीन                   सहायता योजना चलाई गयी है।

१२. बच्चों की पढाई से कोई समझौता नहीं।  स्कूल दूर है तो सबको साईकिल दिए जाने के लिए योजना की               शुरुआत की गयी है।

१३. सैकड़ों भूमिहीन ग्रामीणों को जिनके पास अपनी ज़मीन नहीं है। उनके बीच हमने वनाधिकार पट्टा                   वितरित किया। आदमी को जीने खाने के लिए ज़मीन का एक टुकड़ा तो चाहिए।

१४. पीने के लिए शुद्ध पानी हो।  और सबके लिए हो। स्वस्थ जीवन के लिए स्वच्छ पेयजल पहली शर्त होनी           चाहिए एक सभ्य समाज में। अपने 5 साल के कार्यकाल में इतना तो कह सकता हूँ कि पीने लायक पानी की       समस्या लगभग ख़त्म कर दी है मैंने अपने क्षेत्र से।

१५. जय जवान जय किसान क्रेडिट योजना के माध्यम से मैंने किसानों के लिए ऋण योजना को कारगर तरीके         से लागू करवाया और युवक युवतियों के लिये रोजगार मेले की शुरुआत की , जिसका फायदा हज़ारों                   बेरोजगार बच्चों को हुआ है। 


१.  आपलोग भी तो  ही रहे हैं पलामू का इतिहास। जितना विकास का कार्य मैंने किया है उतना किसी ने भी नहीं      कराया है। काम हम किये हैं तो मेहनताना भी तो हमही को न मिलना चाहिए।

२.  आधुनिक युग में बिजली के बिना जीवन अधूरा है। पहले २०-२२ घंटा बिजली तो नहीं रहता था ! अब रहता        है।  हमको घर घर में रौशनी चाहिए और बच्चा बच्चा पढाई लिखाई  करते हुए दिखाई देना चाहिए.

३.  शहर के अंदर बड़ी गाड़ियों के प्रवेश से कठिनाई हो रही है भाई। डेली के रोड एक्सीडेंट से बचने का एक ही            रास्ता था।  हमने शहर के तीन तरफ से बाईपास निकलवाया। शहर के अंदर की एक एक सड़क मैंने खोज          खोज कर ठीक करवाया।

४.  जल छाजन योजना के तहत पलामू में जल स्तर बढ़ाने का काम किया गया है. जब बारिश नहीं हुई तो                पलामू को सूखा क्षेत्र घोषित करवाया मैंने।

५.  हमें महसूस हुआ के गरीबों का भी आशियाना होना चाहिए।  हमने इंदिरा आवास योजना को बड़े पैमाने पर        चालू करवाया और इस बात का ध्यान रखा की हर शहरी के सर पे छत तो होना ही चाहिए। 

Tuesday, January 19, 2010

kabeer n scooter

Kabeer was a sufi poet of early 15th century of India. Born in Benaras(Varanasi). Traveled the whole of north India. Not much is known about what sort of spiritual training Kabeer may have received.He did not become a Sadhu and did not escape. Kabeer never abandoned worldly life, choosing instead to live the balanced life of a householder and mystic, tradesman and contemplative. Kabeer was married, had children, and lived the simple life of a weaver.
When Ritesh was heading towards modernity, from Bhilai to Mumbai by Geetajali Express, an old train was going on a direction opposite to the track to modernization . kabeer was still riding that journey of centuries. And on a certain place and platform, that has no name , both Kabeer and Ritesh could meet for first time. It really was an absurd journey. But Kabeer shared many things that had not been mentioned about him in our common perceptual world. Such as , when Kabeer was young he got a chance to meet a group of gypsies. That Kabeer was an engineer of weaving and had studied in his school of solitude.
Kabeer was a man of threads, logic and curiosity. And , that was a burning noonday, when gypsies returned. This time they brought a "Lamer eta scooter" and gave it to him. At first young Kabeer understood only the risk of combination of the old and the new and not the character of the object. Not knowing exactly what to do and how to proceed. Little by little he became contaminated with the anxiety ; felt frightened and happy at the same time, as he was young. Awake until dawn in the solitary bed that seemed to have a bottom of live coals, he did not dare leave the house for several days and then months and then years. Time matured him and he started calculating the strategic possibilities of melting past and present into each other. And, not very soon, by irresistible power of conviction, Kabeer succeeded in putting together the logic and curiosity. As a son of soil, Kabeer always trusted water and wind. He was fascinated with the force of speed in this nature. He tried to find solutions for a needed speed, with a machine that he was never acquainted with. So for him, scooter was still new to apply in his design of mechanism. Ritesh also could understand that there is a path to walk on, where new becomes old and old becomes new. Finally, Kabeer could train himself in the complicated method of rapid weaving. And in this process young Kabeer could be able to build the image and character we all know of him. This is a secret of Kabeer that is known only to Ritesh.

Ritesh has tried to portray that Kabeer, who was strongly connected to this world, deeply rooted in it, with all its materials and sensibility. Kabeer must have a place for his daily experiments in the backyard of his house. Ritesh has tried to create that ambiance in which Kabeer was dealing with an idea called balance. A balance between mystic and known. "Kabeer n scooter" is an installation executed with many materials, from scrape to aluminum sheets, from nut-bolts to colored walls, from electric lights to water capillaries and from tarpaulin to cotton. Here, Ritesh breaks the wall of known time frame and reassembles it.

Sunday, December 20, 2009

ऐसा नहीं है के सिर्फ विनय सिंह ही आजाद की हरकतों पे गौर कर रहा है, आजाद भी विनय सिंह की उपस्थिति और अनुपस्थिति पर गौर कर रहा है। borstal के लड़कों की काना फूसी में लिलवा नाम की किसी महिला कैदी का ज़िक्र सुना है उसने । समय तेजी से बीत रहा है और एक दिन जब अपनी आदत से लाचार लालमुनी फिर से आजाद को घेरे में लेना चाहता है तब विनय सिंह ने लालमुनी को आड़े हाथों लिया है। आजाद और विनय सिंह में नजदीकियां बढ़ रही हैं। और एक दिन जब विनय और आजाद शतरंज में उलझे हुए हैं और विनय सिंह आजाद की एक किश्ती को मारते हुए कहता है कि ये गया लालमुनी...तो आजाद अपने वजीर से विनय को मात देता हुआ कहता है कि ये रहे विनय भैया। शतरंज की इस बाज़ी में तो विनय सिंह हार गया है मगर सच ये है के विनय सिंह ने आजाद का विस्वास और भरोसा जीत लिया है। विनय ने शाम को आजाद के कंधे पर हाथ रख कर प्यार से बोला है कि हॉस्पिटल के चक्कर लगाना बंद करो। हलाकि आजाद को ये बात अच्छी नहीं लगी है मगर उसने कुछ कहा नहीं।
दिन बीत रहे हैं ... aaj 26 january है । जेल में तिरंगा फेहराया जा रहा है , मिठाइयाँ बांटी जा रही हैं ,सारे कैदी कैद में रहते हुए भी आज थोड़े से आजाद हैं । महिला कैदी भी अपने अपने बैरक से बाहर दिख रहीं हैं। विनय सिंह और आजाद एक पेड़ के नीचे borstal के और कुछ लड़कों केसाथ बैठे हैं तभी एक महिला कैदी उनके पास आयी है। विनय सिंह और महिला कैदी की नज़रें मिली हैं। विनय सिंह ने आजाद को बताया है के ये लिलवा है। आजाद लिलवा कि खूबसूरती देख कर चौंक जाता है एक बरगी के इतनी सुंदर औरत जेल में क्या कर रही है! आजाद ने सुन रखा है लिलवा के बारे में कि लिलवा ने अपने पति और ससुर की हत्या कर दी थी और यहाँ उम्र क़ैद काट रही है। विनय सिंह कबड्डी के मैच के लिए strategy बना रहा है। शाम को gt और बोर्स्तल के बीच कबड्डी का मैच है। लिलवा ने मिठाई का एक टुकड़ा विनय सिंह के मुंह में डाला है और एक टुकड़ा आजाद के मुंह में डालते हुए उसने पूछा है कि.... तुम्हारा नाम आजाद है न! आजाद एक अपनेपन से विनय को देख रहा है, मगर विनय का ध्यान लालमुनी पर है जो निरंजन चौबे और रामा सिंह के साथ दूर खड़ा इधर ही देख रहा है। लिलवा आजाद और विनय के बीच थोड़ी सी जगह बना कर वहीँ बैठ गयी है। विनय ने रामा सिंह को देखते हुए लिलवा के कंधे पे हाथ रखा है। jailor बगल से आकर टोकता है विनय को कि ... क्यूँ विनय सिंह, फॅमिली के साथ बैठे हो। लिलवा हडबडा गयी है मगर विनय सिंह ने अपनी पकड़ ढीली नहीं होने दी है। jailor दूर निकल गया है।
शाम में कबड्डी का मैच चल रहा है , borstal के कई लड़के आउट हो गए हैं, विनय सिंह के साथ borstal के सभी लीग परेशान हैं । borstal के कई जवान लड़के कोशिश कर रहे हैं मगर gt के दानवों के सामने टिकना इतना आसान नहीं। विनय सिंह की परेशानी देख रहा है आजाद । आजाद कुरता उतार कर सिर्फ कच्छा पहने मैच में शामिल हुआ है। विनय हैरान है, महिला कैदिओं के बीच बैठी लिलवा हैरान है, धर्मेन्द्र, इकबाल, संजय सब हैरान हैं। और GT के पाले में हंसी बंद ही नहीं हो रही है। कबड्डी कबड्डी करता हुआ आजाद GT के पाले में घुसा है और इस से पहले के किसी को कुछ समझ आये आजाद २ -३ क़ैदिओन के कंधे पर पैर रखता हुआ उनके पाले के सबसे खतरनाक घेरे में घुस गया है। borstal के लड़के परेशान हैं के आजाद तो गया काम से । मगर इस से पहले कि कोई कयास लगाता के आजाद क्या करने वाला है, आजाद उसी फुर्ती से पलटा है और वैसे ही २-३ बाकी कैदिओं के कंधे पर चड़ता हुआ वापस अपने पाले में आ गया है। पूरे जेल को अपनी आँखों पे भरोसा नहीं होता, मगर ये सच है के आजाद कभी भी गेम पलट सकता है।
रात में borstal में बैठ कर जीत की जश्न मनाई जा रही है और तभी वहां हीरा और मोती कि entry होती है।