जब लोहे से बाजा लोहा
मैं खन्न से टूट गयी
दौडी यूँ तो बहुत मैं लेकिन
गाडी छूट गयी
सुना है जा रहा है
नबी का काफिला पैदल
अगर चलता है
तो आ चल
अगर चलता है
तो आ चल
चल पैदल पैदल
चल पैदल यारा
साथ नबी के हो ले तू भी
दरवाजे से निकल
खुदा के पास जाना है
मुक्कादर आजमाना है
अगर उसको मनाना है
तो तू
अपने भीतर से निकल
चल पैदल पैदल
चल पैदल यारा
चाँद की सोहबत थी
अल्लाह से जब टकराई मैं
अपनने ही टुकड़े चुन चुन कर
लेकर आई मैं
ईद पे नींद उडी थी
हुई मैं
उस दिन से आवारा
चल पैदल यारा
चल पैदल पैदल
No comments:
Post a Comment