एक ऐसा मोड़ के फिर दूर तक कुछ भी नहीं
एक ऐसी राह थी के हम खड़े थे हर तरफ़
और फिर पत्थर की इक दीवार थी जो गिर गई
देखते ही देखते अब रास्ते थे हर तरफ़
भूख तो अच्छी लगी थी पर जरा कुछ और दिन
ख्वाब अब भी वादियों में अधपके थे हर तरफ़
दुनिया बहुत ज्यादा बड़ी है घूमने के वास्ते
पर हमेशा रास्ते कच्चे मिले थे हर तरफ़
घर सजाने के लिए हम क्या हटाते फर्श से
सबसे ज्यादा ख्वाब ही बिखरे पड़े थे हर तरफ़।
Thursday, October 2, 2008
Sunday, September 21, 2008
salaam
पहले भागने वाले झट से लापता हो गए किसी बस ट्रेन या ऑटो या पैदल जिस तरह से भी............
बहुत ज्यादा जलालत, लोग थे कुछ,सह नहीं पाए...वो कुछ बेहतर तमाशे देखने की जिद में हैं शायद
koiऐसा करिश्मा जो कभी सदियों में मुमकिन हो, या शायद वो भी नामुमकिन
जिन्हें शर्मोहया में बंद रखना था कुंवारापन, वो सब झेंप कर थोड़ा हुए रुखसत वहाँ पर से
वहाँ पर से जहाँ पर जंग जारी थी उनके पीछे.......
मैं उस बेशर्म बे गैरत की बातें करना चाहूँगा जिसे कूचा गया और थूर कर फोडा गया पहले ,
अभी दो चार मिनटों में तमाशा खुलने वाला है
हमारे लnd पे बैठा हुआ मोटा सा कनगोजर के समझो डेढ़ फुट लंबा, बहुत ही लिजलिजा चिकना
डर के वो लम्हें bahut kuchh honge aise hi
के जिन लम्हों में उनके हौसले टूटे या na टूटे, उनका पर्सनल मुद्दा है, छोड़ो ये कहानी तुम,
के आख़िर तक टिके rehna bhi ik achchhi kahani hai, bahut achchha fasaana hai
kabhi sunne aunaane ko,
magar wo hi kahe,
jo ant tak parde pe thehra ho.............................
बहुत ज्यादा जलालत, लोग थे कुछ,सह नहीं पाए...वो कुछ बेहतर तमाशे देखने की जिद में हैं शायद
koiऐसा करिश्मा जो कभी सदियों में मुमकिन हो, या शायद वो भी नामुमकिन
जिन्हें शर्मोहया में बंद रखना था कुंवारापन, वो सब झेंप कर थोड़ा हुए रुखसत वहाँ पर से
वहाँ पर से जहाँ पर जंग जारी थी उनके पीछे.......
मैं उस बेशर्म बे गैरत की बातें करना चाहूँगा जिसे कूचा गया और थूर कर फोडा गया पहले ,
अभी दो चार मिनटों में तमाशा खुलने वाला है
हमारे लnd पे बैठा हुआ मोटा सा कनगोजर के समझो डेढ़ फुट लंबा, बहुत ही लिजलिजा चिकना
डर के वो लम्हें bahut kuchh honge aise hi
के जिन लम्हों में उनके हौसले टूटे या na टूटे, उनका पर्सनल मुद्दा है, छोड़ो ये कहानी तुम,
के आख़िर तक टिके rehna bhi ik achchhi kahani hai, bahut achchha fasaana hai
kabhi sunne aunaane ko,
magar wo hi kahe,
jo ant tak parde pe thehra ho.............................
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